इस बार भक्तिजान का साथ भी उसे मिल रहा था क्योंकि अगला लक्ष्य एक युवती की रक्षा करना था इस बार भक्तिजान का साथ भी उसे मिल रहा था क्योंकि अगला लक्ष्य एक युवती की रक्षा क...
उस रात दिल्ली से जयपुर तक के सफ़र में स्नेहा ने उन सब के अलग रूप को देखा उस रात दिल्ली से जयपुर तक के सफ़र में स्नेहा ने उन सब के अलग रूप को देखा
मैं दशानन नहीं जी, नयी सदी का शतानन... सहस्त्रानन हूँ... विकासोन्मुखी हूं... हा हा हा ह मैं दशानन नहीं जी, नयी सदी का शतानन... सहस्त्रानन हूँ... विकासोन्मुखी हूं... हा ...